लड़का सा

हिंदी कविता




लड़का सा बन इक रहना, बड़ा मुश्किल है

पूरे जीवन बस लड़ना है, रहना सा बड़ा मुश्किल है

दर्द भरा है सीने में, लब से मुस्काते हैं

ये लड़के भी न जाने कैसे दर्द छिपाते हैं

कभी आँखें तो भर्ती नही इनकी, दर्द बड़ा छिपाते हैं

पढ़ाई थोड़ी कम करें चाहे, पर हर रिश्ते बखूबी निभाते हैं

कही बाहर निकले अगर, फ़ोन कर घर पे बताना होता है

दोस्तों से महफ़िल में मिलकर, गम मिटाना होता है

Attitude में तो रहते हैं, अपनो के सामने झुकना होता है

सीना सा ताने, गैरों को बताना होता है

अपनी सेटिंग पे तो ध्यान नही, बहनों को बड़ा समझाते हैं 

कहके दो चार, अपनी इज्जत का सवाल लाते हैं

कुछ कहना नही आता, परिवार के सामने, बहनों से गुज़रिष लगाते हैं,

न नुकर करके, मना ही पाते हैं

सब रिश्ते दिल मे रखते हैं, कुछ करने की सोचे जाते हैं

उलझे से दिल, थके हारे शाम को घर में आते हैं

प्यार जताना तो नही आता, पर परवाह करनी आती है

झूठ ही बोलें चाहे फिर, दर्द छिपाना आता है

खुद से खुद की उलझनों में, हर समस्या का हल रखते हैं

हसी मजाक करते करते, बड़े गम भी छोटे लगते हैं

माँ की दवाई, पिता की कमाई, सबका ख्याल रखते हैं

ये खुद के अंदर ही न जाने कितना बड़ा संसार रखते हैं

यारों के लिए यार हैं, दोस्त चाहे थोड़े कम हों, दिल से दिलदार हैं ये

कभी आ जाये सामने कोई, आगे आके खड़ते हैं ये

खुद के ही दम से, अपनों के लिए लड़ते हैं 

नाम कामना आता है, तो राम राम भी करना आता है

बड़ो के सामने इनको प्रणाम भी करना आता है

गाली तो देनी आती है, टीचर को गुरु कहकर बुलाते हैं

फर्ज निभाने आते हैं, हर कर चुकाने आते हैं, ये लड़के भी न हर गम सा छुपाके जीते हैं।