शपथ हर लड़की की
हिंदी कविता
रोटियां पकानी आती हैं तो, मुँह भी तोड़ना आता है
संस्कार हैं पास मेरे, पर जवाब भी देना आता है मुझे
दिन में भी निकल गई घर, से और रात को भी खुद के दम पे चलना आता है
भूल से भी भूल मत करना मुझे कमजोर समझने की
आखरी क्षण तक जीतना आता है मुझे
जागीर नहीं किसी के बाप की मैं, खुद के दम से चलती हूँ
सही गलत सब समझ आता है, मायने बड़े रखती हूँ
आग इतनी है आखों में, तुम देखकर ही डर जाओगे
जिस हुस्न पे फ़िदा हो, गलत करते समय उसी से घबराओगे
दो कौड़ी की सोच से हराना मुझे आता नहीं
फालतू की बहकावे में, बहकना मुझे आता नही
एक दो नही, चाहे चार हो तुम या हजार हो तुम
गलत न मैं करती हूं न सहना मुझे आता है
खुद में खुद के जीतने का दम रखती हूं मैं
हर मैदान में खड़ी, जीतना मुझे आता है
जिस जिस्म से पैदा होते हो, उसी जिस्म को नोचते हो न तुम
उसी जिस्म से हराना है मुझे आता है
दपट्टा है संग में, कफन नही, बनेगा कफन तो तुम्हारा ही बनेगा
खुद की दो पल की खुशी के खातिर, मेरी बर्बादी के बारे में भूलकर भी मत सोचना
वो ही खुशी हर पल याद आएगी, ऐसी सजा दूंगी न रूह ही कांप जाएगी
एहसान मेरे, बर्ताव मेरे, मुस्कान मेरी झुकाव मेरी कमजोरी न समझ लेना
उस कमजोरी से तुम्हे न हरा दिया, देख लेना कर के दिखाऊंगी
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